New World Order का संकेत? Beijing में Xi Jinping, Putin और Kim का साथ चलना दुनिया को क्या संदेश दे रहा है

बीजिंग में हुए चीन के सबसे बड़े सैन्य परेड ने सिर्फ हथियारों की ताकत ही नहीं दिखाई, बल्कि एक ऐसी तस्वीर दुनिया के सामने रखी जिसने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी। इस परेड का सबसे चर्चित और प्रतीकात्मक पल वह था जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन एक साथ चलते नजर आए।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह तस्वीर पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, को एक सख्त संदेश है कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया अब खुलकर एकजुट हो रहे हैं। यह नजारा एक नई विश्व व्यवस्था (New World Order) की शुरुआत का संकेत भी माना जा रहा है।

परेड का आयोजन और खास मेहमान

यह सैन्य परेड बीजिंग के तियानआनमेन स्क्वायर में आयोजित की गई थी। यह परेड जापान पर जीत और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के 80 साल पूरे होने के मौके पर हुई।

इस मौके पर करीब 20 देशों के नेता शामिल हुए, लेकिन मुख्य आकर्षण रहे:

  • शी जिनपिंग – चीन के राष्ट्रपति
  • व्लादिमीर पुतिन – रूस के राष्ट्रपति
  • किम जोंग-उन – उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता
  • शहबाज शरीफ – पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

शी जिनपिंग ने पुतिन और किम का गर्मजोशी से स्वागत किया। वह दोनों नेताओं के साथ लाल कालीन पर चलते हुए परेड स्थल तक पहुंचे। इस दौरान शी बीच में थे, उनके दाईं ओर पुतिन और बाईं ओर किम थे। यह दृश्य ही अपने आप में एक बड़ा राजनीतिक संदेश था।

ताकत का प्रदर्शन और शी का भाषण

इस परेड में चीन ने अपनी नवीनतम सैन्य तकनीक और हथियारों का प्रदर्शन किया। हजारों सैनिकों ने मार्च पास्ट किया और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने अपनी शक्ति का परिचय दिया।

शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा:

“आज दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां शांति या युद्ध, संवाद या टकराव, जीत-जीत या ज़ीरो-सम गेम का चुनाव करना होगा। चीन हमेशा इतिहास के सही पक्ष में खड़ा रहेगा।”

शी ने बिना नाम लिए अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि चीन किसी भी दबाव या धमकी से डरने वाला नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन अब अविराम और अजेय” (unstoppable) है और सभी देशों को एकजुट होकर युद्ध के कारणों को खत्म करना चाहिए ताकि ऐतिहासिक त्रासदियां दोबारा न हों

तस्वीर का गहरा संदेश

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह तस्वीर तीन बड़े संदेश दे रही है:

  1. चीन अपने सहयोगियों के साथ खड़ा है
    • यह तस्वीर साफ दिखाती है कि चीन चाहे जितनी भी पश्चिमी पाबंदियां (sanctions) लगें, वह रूस और उत्तर कोरिया का साथ नहीं छोड़ेगा।
    • यह खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहां पश्चिमी देश रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं।
  2. अमेरिका-नेतृत्व वाले सिस्टम को चुनौती
    • शी जिनपिंग लंबे समय से नई विश्व व्यवस्था बनाने की बात करते रहे हैं।
    • यह तस्वीर और यह आयोजन दिखाते हैं कि चीन अब अमेरिका का विकल्प बनने की तैयारी कर रहा है।
    • विशेषज्ञ कहते हैं कि शी यह दिखाना चाहते हैं कि अब उनका खुद का प्रभाव क्षेत्र (sphere of influence) है।
  3. रूस-उत्तर कोरिया-चीन का मजबूत गठबंधन
    • पहले खबरें थीं कि रूस और उत्तर कोरिया की बढ़ती नजदीकियां चीन को परेशान कर रही हैं।
    • लेकिन इस परेड की यह तस्वीर दिखाती है कि तीनों देश एक ही पेज पर हैं और रणनीतिक रूप से एकजुट हैं।

सूचना के अनुसार, एक पत्रकार ने लिखा कि यह तस्वीर पश्चिमी देशों के लिए चिंता का कारण है और यह संकेत देती है कि अमेरिका के पीछे हटने से बनी खाली जगह को चीन भर रहा है

 

 

अमेरिका की नाराजगी और ट्रंप की प्रतिक्रिया

इस तस्वीर ने अमेरिका में खलबली मचा दी, खासकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा:

मेरी तरफ से व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग-उन को शुभकामनाएं, जब आप अमेरिका के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 80 साल पहले जापान को हराने में अमेरिका की बड़ी भूमिका थी, और चीन को यह नहीं भूलना चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान दर्शाता है कि अमेरिका की अमेरिका फर्स्टनीति और टैरिफ युद्ध (tariff wars) अब उल्टा असर डाल रहे हैं, और चीन इसका फायदा उठा रहा है।

विशेषज्ञों की राय

  • वें-टी सुंग (Atlantic Council)

“चीन यह संदेश दे रहा है कि चाहे पश्चिमी देश कितने भी प्रतिबंध लगाएं, वह अपने दोस्तों का साथ नहीं छोड़ेगा।”

  • अल्फ्रेड वू (चीनी राजनीति विशेषज्ञ)

“शी जिनपिंग यह दिखाना चाहते हैं कि अब चीन इतना मजबूत है कि उसका खुद का प्रभाव क्षेत्र है।”

  • सीएनएन का विश्लेषण

“यह मुलाकात दिखाती है कि अमेरिकी कूटनीति इन नेताओं को रोकने में नाकाम रही है।”

भविष्य की दिशा

  • यह तस्वीर चाहे प्रतीकात्मक हो, लेकिन भविष्य की वैश्विक राजनीति पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।
  • अब यह देखना होगा कि क्या यह एकता केवल दिखावे तक सीमित रहती है या यह व्यावहारिक कदमों में बदलती है, जैसे:
    • सैन्य सहयोग
    • आर्थिक साझेदारी
    • राजनीतिक समझौते

फिलहाल पश्चिमी देश इस स्थिति को चिंता और अलार्म के साथ देख रहे हैं।

बीजिंग की यह तस्वीर सिर्फ एक फोटो नहीं है, बल्कि यह तीन शक्तिशाली देशों की एकजुटता का प्रतीक है।
यह संकेत देती है कि आने वाले समय में अमेरिका और पश्चिमी देशों के सामने नई चुनौतियां खड़ी होंगी
चीन, रूस और उत्तर कोरिया का यह गठबंधन अगर मजबूत हुआ, तो दुनिया की शक्ति संतुलन (power balance) पूरी तरह बदल सकता है।