उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखा सैनिकों की बहादुरी और उनके योगदान को सम्मान देने के लिए गोरखा वॉर मेमोरियल म्यूज़ियम और उसके आसपास के क्षेत्र के सौंदर्यीकरण कार्य की नींव रखी। यह परियोजना ₹45 करोड़ की लागत से तैयार होगी। इस म्यूज़ियम का उद्देश्य न केवल गोरखा रेजीमेंट के वीर जवानों के साहस और बलिदान को सम्मान देना है, बल्कि भारत-नेपाल के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्तों को और मजबूत करना भी है।
वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भूमि पूजन
समारोह के दौरान सीएम योगी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन किया और परिसर में स्थित मां काली मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस मौके पर गोरखा रिक्रूटिंग डिपो (GRD) पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई, जिसमें गोरखा सैनिकों की बहादुरी और उनकी कहानियों को जीवंत रूप में पेश किया गया।
सीएम योगी का संबोधन: “जय महाकाली, आयो गोरखाली” का नाम सुनकर कांपते थे दुश्मन
सीएम योगी ने गोरखा सैनिकों की वीरता को याद करते हुए कहा कि जब भारतीय सेना की बहादुरी की बात होती है, तो गोरखा सैनिकों का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने कहा,
“जब गोरखा सैनिक ‘जय महाकाली, आयो गोरखाली‘ का नारा लगाते हुए दुश्मनों पर हमला करते हैं, तो दुश्मन पीछे हटने को मजबूर हो जाते हैं।”
उन्होंने 1816 के ब्रिटिश-गोरखा युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय ब्रिटिश सेना गोरखा सैनिकों का सामना नहीं कर पाई और उसे संधि करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सीएम योगी ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले गोरखा सैनिकों ने ब्रिटिश आर्मी में रहते हुए अपनी वीरता दिखाई और स्वतंत्र भारत में भी उन्होंने कई मोर्चों पर दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
उन्होंने आगे कहा कि यह म्यूज़ियम आने वाली पीढ़ियों को न केवल प्रेरणा देगा, बल्कि उन्हें यह भी बताएगा कि गोरखा सैनिकों ने देश की सुरक्षा के लिए कितनी बड़ी कुर्बानियां दी हैं।
CDS जनरल अनिल चौहान भी रहे मौजूद
इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान भी मौजूद रहे। सीएम योगी ने उनका आभार जताते हुए कहा कि “अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद यहां आना गोरखा रेजीमेंट के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।”
जनरल अनिल चौहान का बयान: तीन बड़ी बातें
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इस प्रोजेक्ट को सिविल-मिलिट्री फ्यूजन का प्रतीक बताया और कहा कि यह म्यूज़ियम तीन कारणों से बेहद महत्वपूर्ण है:
- भारतीय सेना और गोरखा सैनिकों के गहरे रिश्तों की पहचान।
- गोरखा सैनिकों की सदियों पुरानी निस्वार्थ सेवा और बहादुरी का सम्मान।
- भारत-नेपाल के रिश्तों को मजबूत करने का संकल्प।
उन्होंने कहा, “आज देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, लेकिन अतीत को भूलना नहीं चाहिए। गोरखा सैनिकों का त्याग और बलिदान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।”
आधुनिक तकनीक से सजी होगी म्यूज़ियम
जनरल चौहान ने बताया कि यह म्यूज़ियम पूरी तरह डिजिटल टेक्नोलॉजी से लैस होगी। इसमें कई खास आकर्षण होंगे, जैसे:
- डिजिटल साउंड और लाइट शो – जिसमें युद्ध के किस्सों को जीवंत रूप में दिखाया जाएगा।
- 7D थिएटर – जिससे दर्शक युद्ध के दृश्यों को असली अनुभव की तरह देख पाएंगे।
- दीवारों पर भित्ति चित्र (म्यूरल पेंटिंग्स) – गोरखा सैनिकों के महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाते हुए।
- वीडियो डॉक्यूमेंट्रीज़ – वीर सैनिकों की असली कहानियों को प्रस्तुत करती हुई।
गोरखा रेजीमेंट: वीरता की मिसाल
गोरखा रेजीमेंट भारतीय सेना का अहम हिस्सा है और इसे अपनी बहादुरी और अनुशासन के लिए जाना जाता है।
- 1816 के युद्ध से लेकर आज तक गोरखा सैनिकों ने हर लड़ाई में अपना लोहा मनवाया है।
- स्वतंत्र भारत में भी उन्होंने कई बार दुश्मनों को मात दी है।
महत्वपूर्ण संदेश
यह म्यूज़ियम न केवल गोरखा सैनिकों की शौर्य गाथाओं को संरक्षित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगा कि देशभक्ति, साहस और त्याग क्या होता है।
साथ ही, यह परियोजना सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देगी और भारत-नेपाल की दोस्ती को और गहरा करेगी।
गोरखा वॉर मेमोरियल म्यूज़ियम गोरखा सैनिकों की वीरता, त्याग और समर्पण का जीवंत प्रतीक बनेगा। यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह होगी जहां हर आगंतुक को यह महसूस होगा कि देश की आज़ादी और सुरक्षा के लिए कितने वीरों ने अपने प्राण न्यौछावर किए।