योगी आदित्यनाथ सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा के लिए विशेष पहल शुरू की है। सरकार ने श्रम नियमों को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है, जिससे अब बिना ठोस कारण के किसी कर्मचारी को नौकरी से हटाना आसान नहीं होगा। इस संबंध में आवश्यक मानक तय किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में 6 लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मियों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए “आउटसोर्स सेवा निगम” की स्थापना की जा रही है। इसके माध्यम से श्रम नियमावली के सभी प्रावधानों को कठोरता से लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दिशा में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं और इस पर कार्य तेजी से प्रगति पर है।
नवीन नियमों के तहत तय समय से अधिक काम लेने पर बिना ओवरटाइम या अतिरिक्त भुगतान के काम कराना प्रतिबंधित होगा। इसके साथ ही कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट मानक भी बनाए जा रहे हैं। अभी तक आउटसोर्स कर्मी एजेंसियों की मनमानी पर निर्भर रहते थे, जिससे उत्पीड़न की शिकायतें आम थीं। अब इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी प्रणाली विकसित की जा रही है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यूपी आउटसोर्स सेवा निगम गठित करने के निर्देश दिए थे। सीएम योगी के निर्देश के बाद विभिन्न प्रावधानों और एकाध अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन करने के बाद निगम का मसौदा तैयार कर लिया गया है। सीएम के सामने पिछले सप्ताह इसका प्रेजेंटेशन हुआ था। इसमें उन्होंने वेतन प्रक्रिया, सेवायोजन पोर्टल की उपयोगिता जैसे बिंदुओं को और प्रभावी बनाने को कहा है।
20 तारीख के बाद बनेगा वेतन
निगम के प्रस्तावित ड्राफ्ट के दौरान कर्मचारियों का कार्यदिवस हर महीने की 21 तारीख से अगले महीने की 20 तारीख तक माना जाएगा। इसके आधार पर उनका वेतन या मानदेय बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। हर महीने की 5 तारीख तक उनके खाते में वेतन भेजना अनिवार्य होगा, इस तारीख तक ही ईपीएफ (एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड) व ईएसआई (एंप्लॉयी स्टेट इंश्योरेंस) की धनराशि कर्मियों से जुड़े खातों में जमा कर इसकी सूचना निगम को देनी होगी।
इसकी पुष्टि के बाद ही हर महीने की 10 तारीख को निगम एजेंसियों के खाते में कमीशन, सर्विस चार्ज की धनराशि जमा कराएगा। ईपीएफ से प्राप्त होने वाले फायदे, मसलन 60 साल पूरा होने पर 1000 रुपये से 7500 रुपये तक प्रतिमाह पेंशन, विधवा को 1000 रुपये से 2900 रुपये तक पेंशन या अविवाहित कर्मी की मृत्यु पर माता-पिता को 1000 रुपये से 2900 रुपये महीने तक मासिक पेंशन जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी।
सीमित होगी एजेंसियों की संख्या
बैंकों से समन्वय कर कर्मचारी का 30 लाख रुपये तक ऐक्सिडेंटल डेथ या डिसेबिलिटी का बीमा भी करवाया जाएगा। बहुत बार कार्यदायी संस्थाओं और एजेंसियों की अधिकता के चलते समन्वय एवं जवाबदेही में दिक्कतें आती हैं। इसलिए, निगम के जरिए इनकी संख्या भी सीमित करने का प्रस्ताव है। सूत्रों का कहना है कि 18 मंडलों के लिए तीन एजेंसियों का चयन किया जा सकता है। एक एजेंसी को 6 मंडल की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
प्रस्ताव के तहत अगर इतनी क्षमता की आउटसोर्सिंग एजेंसी उपलब्ध न हो तो 3 मंडल पर एक एजेंसी का चयन किया जा सकता है। विभाग निगम के जरिए कर्मियों की मांग करेगा। हर महीने कर्मियों का मानदेय, पीएफ, ईएसआई आदि 26 तारीख तक एजेंसी के खाते में विभाग के जरिए भेज दिया जाएगा, जिससे वह तय समय सीमा में कर्मियों को वेतन उपलब्ध करवा सके। निगम का गठन छह स्तरों पर होगा।
सर्वोच्च इकाई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स होगी। इसके बाद सलाहकार समिति, निगम कार्यालय, शासन, मंडल व जिला स्तर वेरिफिकेशन कमिटी गठित की जाएगी। निगम मुख्यालय में डायरेक्टर सहित 78 पद सृजित किए जाएंगे। इसमें एमडी का पद सचिव स्तर के अधिकारी से, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के तीन पद प्रतिनियुक्ति से व अन्य सभी पद आउटसोर्सिंग के जरिए भरे जाएंगे।